शिमला, 22 मार्च। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में राज्य के वर्ष 2023-24 के आम बजट पर हो रही चर्चा के तीसरे दिन बुधवार को भी सदन में माहौल गरमाया और कई मौकों पर पक्ष-विपक्ष के बीच नोक-झोंक हुई। कांग्रेस की 10 चुनावी गारंटियों पर जहां सरकार को आईना दिखाया और छह अप्रैल तक प्रदेश में एक भी महिला को उसके खाते में चुनावी गारंटी के 1500 रुपए डालने की चुनौती दे डाली। वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष ने भी सरकार का बचाव किया और बजट को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया दस्तावेज करार दिया।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने तीसरे दिन बजट पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि जनता ने जो जिम्मेदारी कांग्रेस को सौंपी है, उस पर खरा उतरना उनकी सरकार का दायित्व है। उस दृष्टि से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐतिहासिक बजट पेश किया है।
उन्होंने कहा कि यह बजट विपरीत परिस्थितियों में पेश किया गया है। आज राज्य की वित्तीय स्थिति खराब है और उसके बीच यह ग्रीन बजट पेश किया गया है।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि जो बजट पेश किया गया है वह भविष्य को देखते हुए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि बजट में कई बातें पहली बार हुई हैं। उन्होंने कहा कि बजट में नए विजन का उल्लेख है और विकासोन्मुख बजट है। उन्होंने कहा कि आय बढ़ाने के लिए सरकार ने बजट में वाटर सेस की बात कही है और शराब के ठेकों की खुली नीलामी से पिछले वर्ष के मुकाबले बहुत अधिक का राजस्व मिला है।
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल में कुछ विधानसभा हलकों में ही विकास हुआ था और धन के आवंटन में बंदरबांट हुई थी। उन्होंने कहा कि कुछ डिविजन में केवल 100 से 150 करोड़ रुपए ही दिया गया, जबकि कुछ में आंकड़ा 750 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने तो अपने ही दल के विधायकों की अनदेखी की थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार पूरे प्रदेश का एक समान विकास करेगी और आने वाले समय में इसके परिणाम दिखेंगे।
बजट चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा विधायक सतपाल सत्ती ने कांग्रेस सरकार को उसकी 10 गारंटियों पर घेरा। उन्होंने कांग्रेस सरकार को चुनौती दी कि वह छह अप्रैल तक एक महिला को सामने लाए, जिसके खाते में चुनावी गारंटी के 1500 रुपए आए हों। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने घर-घर जाकर महिलाओं से 1500 देने की बात कही, लेकिन आज उनके खाते में 1500 तो दूर, एक पैसा तक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस झूठ बोलकर सत्ता में आई है।
सत्ती ने कहा कि कांग्रेस ने 1 जनवरी से ओपीएस लागू करने की बात कही थी, लेकिन अब इसे एसओपी के चक्कर में घुमा कर रख दिया है। उन्होंने कांगड़ा जिला की अनदेखी पर सत्ता पक्ष को घेरते हुए कहा कि वहां चाहिए तो मंत्री था लेकिन कुछ और ही घोषणा कर के लोगों को शांत करने का प्रयास किया जा रहा है।
सत्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू सरकार के पास पैसे न होने का रोना रो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि पैसा नहीं है तो सीपीएस क्यों बनाए गए और कैबिनेट रैंक में सलाहकार क्यों बनाए और क्यों ओएसडी बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को रोने के बजाय आय के साधन बढ़ाने पर कार्य करने की दिशा में कार्य करना चाहिए और फिजूलखर्ची को रोकना चाहिए।
विधायक राजेश धर्माणी ने कहा कि बजट में फिजूल खर्ची को रोकने का प्रयास किया गया है।
विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि यदि व्यवस्था परिवर्तन करना है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखें। जब वे केंद्र सरकार से किसानों को 2000 रुपए जारी करते हैं तो एक पैसा भी कम नहीं आता। उन्होंने कहा कि संस्थानों को बंद करना व्यवस्था परिवर्तन नहीं है।