मानव संसाधन की अपरिहार्यता एक मिथक हैः उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि, “मानव संसाधन की अपरिहार्यता एक मिथक है। यह विचार कि “आपके बिना चीजें काम नहीं कर सकतीं” सत्य नहीं है। ईश्वर ने आपकी दीर्घायु की सीमा पहले ही निर्धारित कर दी है। इसलिए, उन्होंने यह भी तय कर दिया है कि आप अपरिहार्य नहीं हो सकते।”

युवाओं से स्वयं पर विश्वास करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “…स्वयं पर विश्वास रखें। कोई भी जीवित प्राणी तब तक आपके सम्मान का हकदार नहीं है, जब तक आप उनमें कोई गुण न देखें। चापलूस या पाखंडी बनने की इच्छा कभी नहीं होनी चाहिए। हमें अपने सोचने के तरीके की सराहना करनी चाहिए। हो सकता है कि हम सही हों, हो सकता है कि हम गलत हों। हमेशा दूसरे के दृष्टिकोण को सुनें। यह सोचकर निर्णयात्मक न बनें कि आप अकेले ही सही हैं। हो सकता है कि आपको सुधार की आवश्यकता हो। हो सकता है कि दूसरे के दृष्टिकोण से आपको पता चले कि क्या हो सकता है।”

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