भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने में केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रयास सराहनीयः राज्यपाल

शिमला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय ने मनाया 15वां स्थापना दिवस

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) भारतीय शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाएगी। शिक्षा नीति की व्यापकता को देखते हुए और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की आवश्यकता है।
राज्यपाल आज कांगड़ा जिला के धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश (सीयूएचपी) के 15वें स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे हैं। भारतीय ज्ञान परंपराओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस समृद्ध विरासत को बढ़ावा देने के लिए एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने के विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। शिक्षा के क्षेत्र में केंद्रीय विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय से वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार रहने और वर्ष 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में योगदान देने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय से वैश्विक मांग के अनुरूप और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखते हुए गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और शिक्षा के केंद्र के रूप में स्थापित होने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया।
इससे पहले, केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों का विस्तारपूर्वक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने 14 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय की स्थापना के समय लक्षित उद्देश्यों के बारे में आत्मचिंतन करने की आवश्यकता पर बल दिया और लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल करने के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय आगामी शैक्षणिक सत्र से अपने देहरा परिसर में संचालन शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में इस विश्वविद्यालय को नैक से ए-प्लस ग्रेड की उपलब्धि हासिल हुई है।
कार्यक्रम में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा के कुलपति प्रो. आर.पी. तिवारी, नैक कार्यकारी समिति के सदस्य प्रो. नागेश ठाकुर और डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय सोलन के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल उपस्थित थे।

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