कृषि क्षेत्र के विकास के लिए रिमोट सेंसिंग की भूमिका महत्त्वपूर्ण: प्रो. चन्द्र कुमार

SHIMLA. कृषि मंत्री प्रो. चन्द्र कुमार ने आज भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून में कृषि अधिकारियों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में कृषि क्षेत्र में नवीन तकनीक का उपयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि रिमोट सेंसिंग तकनीक के माध्यम से मौसम के साथ-साथ अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारियां भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके माध्यम से विभिन्न प्रकार की समस्याओं का दक्षतापूर्वक समाधान सुनिश्चित किया जा सकता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अनेक नवोन्मेषी पहल की हैं। प्रदेश में हिम कृषि योजना आरम्भ की गई है, जिसके तहत विभिन्न कलस्टरों में गतिविधियां आरम्भ की गई हैं। किसानों के उत्थान के लिए हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण संवर्धन परियोजना के तहत 154 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिससे कृषि यंत्रीकरण और तकनीक के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये प्रतिकिलो समर्थन मूल्य घोषित किया है।
प्रो. चन्द्र कुमार ने भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून द्वारा संचालित की जाने वाली गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों का किसानों और बागवानों को लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि रिमोट संेसिंग तकनीक को कृषि क्षेत्र के विकास के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के प्रशिक्षण के लिए इस संस्थान में भेजा जाएगा।
इस संस्थान में प्रदेश के 25 कृषि अधिकारियों के लिए 21 से 26 अप्रैल तक छः दिवसीय रिमोट सेंसिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक आरपी सिंह तथा कृषि निदेशक कुमुद सिंह भी उपस्थित थीं।

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