हिमाचल में डी-नोटिफाईड स्कूलों की समीक्षा करेगी सुक्खू सरकार

शिमला, 30 मई । हिमाचल प्रदेश सरकार डी-नोटिफाइड किए गए उन स्कूलों की समीक्षा करेगी और पुनः खोलने पर विचार करेगी, जिनमें विद्यार्थियों की निर्धारित संख्या है। मंगलवार को शिमला से जारी एक बयान में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने यह जानकारी दी। 

उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने माध्यमिक विद्यालय के लिए 15, उच्च विद्यालय के लिए 20 तथा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के लिए 25 छात्रों की संख्या का विशिष्ट मानदंड निर्धारित किया है। 

दरअसल विगत सप्ताह प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना के जरिये राज्य भर में संचालित ऐसे 90 स्कूलों को डी-नोटिफाई कर उनका दर्जा घटा दिया है, जो पूर्व भाजपा शासनकाल में स्तरोन्नत हुए थे। 

रोहित ठाकुर ने कहा कि शीतकालीन अवकाश वाले विद्यालयों के लिए विद्यार्थियों के नामांकन की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2023 तथा ग्रीष्मकालीन अवकाश वाले विद्यालयों के लिए 15 अप्रैल, 2023 निर्धारित की गई थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने उक्त मानदंडों के आधार पर स्कूलों को डी-नोटिफाई करने का निर्णय लिया है, लेकिन राज्य सरकार के ध्यान में यह आया है कि कुछ स्कूलों में अब विद्यार्थियों की निर्धारित संख्या पूरी हो गई है इसलिए समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है ताकि ऐसे स्कूलों को फिर से खोलने के लिए उचित निर्णय लिया जा सके।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के विद्यार्थियों को विशेष रूप से दूरस्थ और दूर-दराज के क्षेत्रों में उनके घरों के निकट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वित्तीय चुनौतियों के बावजूद अध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के लगभग 6000 पदों को भरने का निर्णय लिया है, जो शिक्षण संस्थानों को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार की सकारात्मक सोच को दर्शाता है।

रोहित ठाकुर ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम छह महीनों में बिना किसी बजट प्रावधान के स्कूल और अन्य संस्थान खोले व स्तरोन्नत किए। इन संस्थानों को जारी रखने के लिए प्रतिवर्ष 5000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से एक-एक राजीव गांधी डे-बोर्डिंग आदर्श विद्यालय खोलने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को उनके गृह क्षेत्र में विश्व स्तर की शिक्षा प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि पहले चरण में 13 स्थानों की पहचान की जा चुकी है जिनमें शीघ्र ही निर्माण गतिविधियां आरम्भ कर दी जाएंगी। 

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