शिमला, 19 अगस्त। राजधानी शिमला के समरहिल कस्बे में भूस्खलन से ध्वस्त हुए शिव बावड़ी मंदिर में लापता लोगों को निकालने का कार्य शनिवार को छठे दिन भी जारी रहा। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस व होमगार्ड की टीमों के संयुक्त सर्च ऑपरेशन के दौरान मलबे में एक और शव बरामद किया। मृतक की शिनाख्त ईश शर्मा (28) पुत्र पीएल शर्मा के रूप में हुई है। मृतक के पिता हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उनके पिता व माता की भी हादसे में मौत हुई है। इन दोनों के शव पहले ही बरामद कर लिए गए हैं। यह परिवार मूल रूप से बिलासपुर जिला का रहने वाला था। हादसे वाले दिन ये तीनों शिव बावड़ी मंदिर में जलाभिषेक करने आये थे कि भूस्खलन ने पूरे मंदिर को ध्वस्त कर दिया।
इस हादसे में अब तक मंदिर के पुजारी सहित 17 शव बरामद हुए हैं, जबकि एक शव की शिनाख्त नहीं हुई है। राहत व बचाव कर्मी अब घटनास्थल से नीचे नाले में लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि शव मलबे में कई-कई फुट नीचे दबे मिल रहे हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन में तेज़ी लाने के लिए अंबाला से सेना का छोटा जेसीबी रोबोट को यहां पर मलबा हटाने के लिए लाया गया है।
एसपी शिमला संजय गांधी ने बताया कि सर्च ऑपरेशन में जुटे कर्मी बड़े साहस से काम कर रहे हैं। शवों को छह से सात फुट नीचे मलबे से निकाला जा रहा है। अब तक 17 शव बरामद कर लिए गए हैं। मिसिंग रिपोर्ट के अनुसार अभी भी मलबे में तीन से चार लोग लापता हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि हादसों के बाद जिनके स्वजन लापता हैं, वे पुलिस को इसकी सूचना दें।
हादसे के पहले दिन आठ, दूसरे दिन चार, तीसरे व चौथे दिन एक-एक और पांचवे दिन दो शव बरामद हुए थे। इस दर्दनाक हादसे में एक परिवार के सात सदस्यों की मौत हुई है, इनमें दो मासूम बच्चे भी शामिल हैं। परिवार की तीन पीढियां खत्म हो गईं। इस परिवार के दो सदस्यों के शव अभी भी बरामद नहीं हुए हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर और बालूगंज स्कूल के एक शिक्षक की भी मौत हुई है।
गौरतलब है कि बीते 14 अगस्त (सोमवार) की सुबह करीब सवा सात बजे भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आने से शिव बावड़ी मंदिर ध्वस्त हो गया था। भूस्खलन इतना ख़ौफ़नाक था कि मंदिर का नामो निशान ही मिट गया। मंदिर में मौजूद दो दर्जन से अधिक लोगों को बच निकलने का समय तक नहीं मिला। भूस्खलन के बाद घटनास्थल पर तबाही का मंजर देखा गया। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घटनास्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया था। इस भयानक हादसे ने दो मासूम बच्चियों सहित सात लोगों के एक परिवार को मौत की नींद सुला दिया।