हिमाचल का 50 हजार करो़ड़ का कर्ज माफ करे मोदी सरकार, विधानसभा में उठी मांग

शिमला, 19 सितम्बर। हिमाचल में मानसून सीजन में हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रदेश सरकार के संकल्प पर विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को भी चर्चा जारी रही। इसमें सता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने हिस्सा लिया। चर्चा में भाग लेते हुए देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने कहा कि सता पक्ष और विपक्ष को मिलकर केंद्र से हिमाचल के 75 हजार करोड़ के कर्ज में से 50 हजार करोड़ माफ करने की मांग करनी चाहिए।

होशियार सिंह ने कहा कि प्रदेश में जो आपदा आई है वो प्रकृति की बजाए मानव निर्मित आपदा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है। 

उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह इस तरह का प्रावधान करें कि मकानों के लिए बीमा जरूरी हो, जिससे नुकसान होने पर उनको बीमा से नुकसान की भरपाई हो सके। होशियार सिंह ने नुकसान होने पर मकानों के लिए मिलने वाली राशि कम बताया कि मौजूदा समय में एक मकान  के लिए 1.30 लाख रुपए दी जा रही है. जबकि इससे मकान तो क्या शौचालय तक नहीं बनता। उन्होंने कहा कि यह राशि सम्मानजनक होनी चाहिए।

होशियार सिंह ने हिमाचल में स्टोन क्रशर को बंद करने को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कायदे से इसके लिए कमेटी गठित करनी चाहिए थी जो कि यह देखती कि कौन से स्टोन क्रशर नुकसान पहुंचा रहे हैं और उसकी रिपोर्ट के आधार पर उनको बंद करना चाहिए था। लेकिन सरकार ने 128 स्टोन क्रशर बिना किसी जांच के बंद कर दिए हैं जिससे आज प्रदेश  रेत व बजरी की कमी हो गई है।  सरकारी काम इससे प्रभावित हो रहे हैं तो वहीं रेत व बजरी प्रदेश में ब्लैक में बेची जा रही है। 

उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में एक ट्राली 4500 रुपए, रेत 5000 रुपए  की ट्राली बेची जा रही है। इनको बंद करने से लोगों को मुश्किलें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार लोक निर्माण विभाग को निर्देश दें कि लोगों को फिक्स रेट पर बजरी व रेत उपलब्ध करवाया जाए।

उन्होंने कहा कि  स्टोन क्रशर बंद करने से प्रदेश को रोजाना एक करोड़ का नुकसान हो रहा है. इसमें बिजली, सीमेंट सहित अन्य नुकसान शामिल हैं।

आपदा से निपटने के लिए डिजास्टर फंड बनाए सरकार

होशियार सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि हिमाचल पहाड़ी इलाका है और यहां भविष्य में आपदा से नुकसान होने की संभावना है।  उन्होंने कहा कि सरकार इससे निपटने के लिए रिजर्व फंड की योजना बनाएं। सरकार पेट्रोल, गाड़ियों और प्रदेश से बाहर लकड़ियों और रेत-बजरी की गाड़ियों पर डिजास्टर टैक्स लगाकर फंड का प्रावधान कर सकती है, जिससे कि भविष्य में इसका पैसा ऐसी आपदा में इस्तेमाल किया जा सके। होशियार सिंह ने कहा कि नदी और खड्डों में माइनिंग करने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में इनका तल 20-20 फुट ऊंचा हो गया है। अगर इनकी माइनिंग नहीं की गई तो अगली बार लोगों के घरों में पानी घुसेगा।

भूकंप रोधी मकान बनाने के लिए कदम उठाए सरकार

होशियार सिंह ने सरकार को सलाह दी कि प्रदेश में भविष्य के लिए आपदा रोधी मकान बनाने का प्रावधान किया जाए. उन्होंने कहा कि हिमाचल भूंकप के लिहाज से संवेदनशील है। अगर  जिला कांगडा़ में रियेक्टर स्केल पर 7.5-8.0 और शिमला में रियेक्टर स्केल पर 5.5-6.0 का भूकंप आता तो इन जगहों पर एक भी मकान नहीं बचेगा. ऐसे में सरकार जियोलॉजिकल रिपोर्ट के आधार पर भूकंप रोधी मकान बनाने की व्यवस्था करें। इसकी रिपोर्ट किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए है।

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