शिमला, 22 सितंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शिमला में चल रहे मानसून सत्र की पांचवीं बैठक की शुरूआत हंगामापूर्ण रही। आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के मुददे पर स्थगन प्रस्ताव मंजूर न होने पर विपक्षी दल भाजपा ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इस मुद्दे पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोक झोंक हुई। भाजपा ने इस मसले पर चर्चा के लिए नियम-67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा अध्यक्ष को दिया था। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव का मामला उठाया और कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी का उल्लेख करते हुए इस पर तुरंत चर्चा की मांग की। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि इस विषय पर विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में प्रदेश सरकार की ओर से सूचना आई है। इसके अलावा नियम-130 व नियम-63 में भी विधायकों की तरफ से चर्चा के लिए प्रस्ताव लगे हैं। ऐसे में सदन के नियमों के अनुसार स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करवाने का कोई औचित्य नहीं है। इससे विपक्षी सदस्य उखड़ गए और उन्होंनेे नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के वाकआउट की आलोचना की और कहा कि अखबारों की सुर्खियों में रहने के लिए विपक्ष ने वाकआउट किया है। विपक्ष सदन में गंभीर नजर नहीं आ रहा है।
कोरोना काल में सेवारत आउटसोर्स कर्मचारियों को 30 जून तक वेतन जारी, जरूरत के हिसाब में होगी नियुक्तियां
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी को लेकर विपक्ष झूठ बोल रहा है। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में सेवारत कर्मचारियों को छह महीने से वेतन नहीं मिलने के विपक्ष के आरोप तथ्यों से परे हैं। इन कर्मचारियों को 30 जून तक का वेतन दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने इन कर्मचारियों को दो बार तीन-तीन महीने का सेवा विस्तार दिया है। अब तक इन्हें 30 सितंबर तक सेवा विस्तार मिला है। इन कर्मचारियों के विस्तार की फाइल वित्त विभाग को गई है। ऐसे कर्मचारियों की लंबित सैलरी भी जल्द जारी कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जरूरत के हिसाब से ऐसे आउटसोर्स कर्मचारियों को अस्पतालों में रखा जाएगा। ऑप्रेशन थिएटर, वॉर्ड ब्वाय या अन्य स्थानों पर जरूरत के हिसाब से आउटसोर्स कर्मचारियों सेवाओं को लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार रोजगार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर कानून के दायरे में रहकर काम करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर विपक्ष झूठ बोलकर गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि गीता में लिखा है जो झूठ बोलता है पाप उसे लगता है। उन्होंने कहा कि इन आउटसोर्स कर्मचारियों को छह महीने से सैलरी नहीं मिलने के विपक्ष के आरोप झूठे हैं।
छह महीने से नहीं मिला आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन: जयराम ठाकुर
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि 10 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी सड़कों पर है। दो हजार आउटसोर्स कर्मचारी तो अकेले स्वास्थ्य विभाग से हटाए गए। उन्होंने कहा कि जिन्होंने कोरोना काल में अपनी जिंदगी को जोखिम में डालकर काम किया, उन्हें बाहर किया जा रहा है। कोरोना काल में जब स्वजन भी अपनों से मिलना नहीं चाह रहे थे तब इन्होंने लोगों की सेवाएं की। अब वर्तमान सरकार इनके साथ अन्याय कर रही है। इन कर्मचारियों को छह महीन से वेतन नहीं मिला है। एक ओर सरकार बेरोजगारों को पांच लाख नौकरियांे की गारंटी कर रही है, तो दूसरी ओर जिन्होंने अपने जीवन को जोखिम में डालकर जिंदगियां बचाई, उन्हें नौकरी से हटाया जा रहा है।
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्वाइंट ऑफ आर्डर के तहत सदन में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि नियम-67 के तहत सुबह उन्होंने काम रोको प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि आज सदन की सारी कार्यवाही को रोक कर इस मामले पर चर्चा करें क्योंकि यह हजारों लोगों के रोजगार से जुड़ा मामला है। रणधीर शर्मा ने कहा कि पहले ही बेरोजगारी चरम पर है। जो लोग आउटसोर्स पर लगे हैं उन्हे निकाल कर बेरोजगार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जबकि कांग्रेस सरकार सत्ता में रोजगार देने के नाम से आई हैं। आउटसोर्स कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। बीते रोज ये मुख्यमंत्री से भी मिले सीएम ने भी इन्हें स्वास्थ्य मंत्री से मिलने का ही आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि इनको निकाले जाने से विभागों में कामकाज प्रभावित हो रहा है। जल शक्ति विभाग में आउटसोर्स को नौकरी से निकालने के बाद लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। अब स्वास्थ्य विभाग में भी ऐसा ही होने जा रहा है।