शिमला, 28 फरवरी। हिमाचल प्रदेश में चल रही सियासी खींचतान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को बड़ी राहत मिली है। गुटबाज़ी व अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस की सुक्खू सरकार से फिलहाल राजनीतिक संकट टल गया है। राज्यसभा चुनाव में छह कांग्रेसी विधायकों की क्रॉस वोटिंग, विक्रमादित्य सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे और विपक्षी भाजपा की सियासी चाल के बावजूद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सदन में अगले वितीय वर्ष का बजट पारित करवाने में कामयाब रहे और विपक्ष के सरकार गिराने के मंसूबो पर पानी फिर गया। दरअसल आधा दर्जन विधायकों के बागी होने से कांग्रेस सरकार के समक्ष वितीय वर्ष 2024-25 के बजट को सदन से पारित करवाना चुनौती बन गया था।
अभूतपूर्व हंगामे और सियासत का गवाह बना विधानसभा का बजट सत्र पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर समेत विपक्ष के 15 विधायकों के निलंबन के साथ बुधवार को पूर्व निर्धारित समय से एक दिन पहले ही वित्तीय वर्ष 2024 25 के लिए पेश किए गए सामान्य बजट को पारित करने के साथ समाप्त हो गया।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का त्यागपत्र
हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद छोड़ दिया है। विधानसभा परिसर में पत्रकार वार्ता कर विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू पर अनदेखी के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पद पर बने रहना ठीक नहीं है। विक्रमादित्य सिंह हिमाचल में कांग्रेस के स्तंभ और छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं। उन्होंने कहा कि शिमला के रिज मैदान पर पिता की प्रतिमा के लिए सरकार ने दो गज जमीन नहीं दी। विक्रमादित्य सिंह बोले कि दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे प्रताड़ित किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रियंका वाड्रा से बात हुई है और जनता की भावनाओं से अवगत करवा दिया है। बता दें कि विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को मत दिया था।
स्पीकर ने भाजपा के 15 विधायकों को किया निलंबित
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार पर छाए संकट के बीच बुधवार को प्रदेश विधानसभा में अभूतपूर्व हंगामा हुआ और भाजपा के 15 सदस्यों को सदन से निलंबित कर दिया गया। ये निलंबन भाजपा सदस्यों द्वारा सदन में बीते रोज हंगामा करने और विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर में जबरन घुसने तथा उनके साथ दुर्व्यवहार और गाली-गलौच करने के मुद्दे पर किया गया।
दरअसल बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने नियम 319 के तहत भाजपा के 15 सदस्यों को सदन से बजट सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव किया। जिन सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव किया उनमें नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार, रणधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार, विनोद कुमार, हंस राज, डॉ. जनक राज, बलवीर वर्मा, त्रिलोक जम्वाल, सुरेंद्र शौरी, दीप राज, पूर्ण चंद, इंद्र सिंह गांधी, दलीप ठाकुर और रणवीर सिंह निक्का शामिल हैं।
हर्षवर्धन चौहान ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि भाजपा के विधायकों ने बीते रोज सदन में बेवजह हंगामा किया और सदन की बैठक स्थगित होने के बाद ये सभी विधायक जबरन विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के पास पहुंचे और जबरन अंदर घुसे। इन सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ दुर्व्यवहार किया तथा गाली-गलौच की। यही नहीं, रात 8.30 बजे ये भाजपा विधायक फिर से अध्यक्ष के चैंबर में आए और उनके काम में बाधा पहुंचाई। प्रस्ताव में कहा गया कि इन हालात में सदन को व्यवस्थित रूप से चलाना संभव नहीं है। इसलिए इन सदस्यों को विधानसभा के नियम 319 के तहत सदन से निलंबित किया जाए।
संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव के बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने भाजपा के इन सभी 15 सदस्यों को बजट सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव सदन में रखा, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। उन्होंने भाजपा के निलंबित सदस्यों से सदन से बाहर चले जाने का आग्रह किया और ऐसा न करने पर उन्हें मार्शलों के माध्यम से जबरन बाहर ले जाने के आदेश दिए। इसका विपक्षी सदस्यों ने जोरदार विरोध किया और सदन में भारी हंगामे की स्थिति पैदा हो गई तथा दोनों ओर से विधायक अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर नारे लगाने लगे। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष के आदेशों का विरोध करते हुए पूरा विपक्ष सदन के बीचोंबीच पहुंच गया नारेबाजी तथा हंगामा करता रहा।
विधानसभा अध्यक्ष के आदेशों और मार्शलों के आने के बावजूद विपक्षी सदस्य अपने स्थान पर बैठे रहे और हंगामा बढ़ता गया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। इसी दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा वैल के बीच मौजूद विधानसभा रिपोर्टरों, विधानसभा सचिव और विधानसभा अध्यक्ष के आसन पर मौजूद कागजों को भी इधर-उधर फेंक दिया।
सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बावजूद पूरा विपक्षी दल सदन में ही डटा रहा और मार्शलों के साथ एक बजे तक उलझता रहा। विधानसभा की कार्यवाही फिर से आरंभ न होने के चलते दोपहर के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में पूरा विपक्ष सदन से उठकर बाहर चला गया।
विधानसभा ने विपक्षी दल भाजपा सहित कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों की गैरमौजूदगी में राज्य का वर्ष 2024-25 का 62,421.73 करोड़ रुपए का बजट पारित कर दिया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश विनियोग विधेयक 2024 सदन में पेश किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में 17 फरवरी को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश किया था। बजट में विकास कार्यों के लिए 28 फीसदी राशि का प्रावधान किया गया है, जबकि कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन, भत्तों और पेंशन पर कुल बजट की 42 फीसदी राशि खर्च होगी। 11 फीसदी बजट प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए कर्जों के ब्याज की अदायगी पर खर्च होंगे, जबकि 9 फीसदी बजट कर्जे वापस लेने पर खर्च होगा। बजट का 10 फीसदी हिस्सा स्वायत संस्थानों के लिए अनुदान पर खर्च होगा। वर्ष 2024-25 के बजट में मुख्यमंत्री ने सात नई योजनाओं का ऐलान किया है। बजट में लोकसभा चुनावों को भी ध्यान में रखा गया है और किसानों-बागवानों, महिलाओं, युवाओं, कर्मचारियों और पिछड़े वर्गों को लुभाने का प्रयास किया गया है। बजट में किसी प्रकार के नए कर का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। जबकि दूध को पहली बार एमएसपी के दायरे में लाया गया है और ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है। बजट में जहां खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि को बढ़ाया गया है, वहीं पुलिस की डाइट मनी भी 220 रुपए के बढ़ाकर 1000 रुपए की गई है। कर्मचारियों के लिए बजट में पहली अप्रैल से 4 फीसदी डीए और सेवाकाल के दौरान दो बार एलटीसी की सुविधा देने का भी प्रावधान किया गया है।