शिमला, 05 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश में सरकारी नियंत्रण वाले सभी मंदिरों को नियोजित ढंग से विकसित करने के लिए मास्टर प्लान बनेगा। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बुधवार को विधानसभा में यह घोषणा करते हुए कहा कि इन मंदिरों में अलग-अलग हिस्सों में विकास कार्य नहीं होंगे, क्योंकि अभी तक छोटे-छोटे कार्यों पर बहुत अधिक पैसा खर्च किया जा चुका है और उसके अपेक्षित परिणाम नहीं निकले हैं। इसी के चलते सरकार ने अब सभी सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों को वैष्णो देवी धाम की तर्ज पर मास्टर प्लान के तहत विकसित करने का निर्णय लिया है।
विधायक सुदर्शन सिंह बबलू के मूल प्रश्न के जवाब में उप मुख्यमंत्री ने कहा कि माता चिंतपूर्णी मंदिर परिसर में निर्माण के लिए 7.32 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं और इसके लिए 5.46 करोड़ रुपए की लागत से 1669 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इसके अलावा दुकानों के निर्माण पर भी 1.86 करोड़ रुपए, सीवरेज के लिए 16 करोड़ रुपए, पेयजल योजना पर 12.24 करोड़ रुपए और म्यूजियम के लिए 11.21 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में माता चिंतपूर्णी का भव्य मंदिर बनेगा। यही नहीं, मंदिर से मुबारकपुर तक की सड़क पर रोड साइड एमिनिटीज विकसित करने पर भी काम किया जा रहा है।
विधायक यादवेंद्र गोमा के एक सवाल के जवाब में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार आशापुरी सहित उन सभी सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों में पुजारी नियुक्त करने की व्यवस्था करेगी, जहां अभी पूजा नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 40 मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन के हैं। उन्होंने माना कि एएसआई ने प्रदेश के प्राचीन मंदिरों को अपने अधीन तो कर लिया, लेकिन इनकी देखभाल पर कोई खर्च नहीं किया जा रहा है।
अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार यह मामला एएसआई के साथ उठाएगी ताकि उसके अधीन गए मंदिरों की उचित देखभाल कर उन्हें बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि आशापुरी मंदिर बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र और इसे बचाने की जरूरत है. लेकिन इस मंदिर का मसला एएसआई के सहयोग से ही हल होगा।