उपमुख्यमंत्री ने किया चिंतपूर्णी हिल्स में ‘1971 कैफ़े एवं रेस्टोरेंट’ का शुभारंभ

श्री चिंतपूर्णी। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन को नए आयाम देने और आतिथ्य एवं सेवा क्षेत्र में युवाओं के लिए स्वरोज़गार के अवसर सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

शनिवार को मुबारिकपुर स्थित चिंतपूर्णी हिल्स में नव-स्थापित ‘1971 कैफ़े एवं रेस्टोरेंट’ का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहल श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए स्थानीय उद्यमशीलता और रोजगार को भी बढ़ावा देगी।

यह कैफ़े माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति पर आउटसोर्सिंग मॉडल के तहत संचालित होगा। उद्घाटन अवसर पर विधायक सुदर्शन बबलू, अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष कुलदीप धीमान, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रविंद्र शर्मा, एसडीएम अंब सचिन शर्मा, कैफे संचालक दक्ष नेगी व लक्ष्य वैद्य सहित स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

उपमुख्यमंत्री ने प्रबंधन को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास जताया कि कैफ़े अपनी उत्कृष्ट सेवाओं से श्रद्धालुओं को सुखद अनुभव प्रदान करेगा।

मंदिर में की पूजा-अर्चना, विकास कार्यों की ली जानकारी

कैफ़े उद्घाटन के उपरांत उपमुख्यमंत्री ने माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में माता रानी की पावन पिंडी के दर्शन कर विधिवत पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। उनकी पुत्री डॉ. आस्था अग्निहोत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहीं।
मंदिर ट्रस्ट के सहायक आयुक्त एवं एसडीएम सचिन शर्मा ने उपमुख्यमंत्री को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।
उपमुख्यमंत्री ने मंदिर के विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी ली और आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

250 करोड़ से बनेगा मंदिर का भव्य भवन

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर के भव्य भवन के निर्माण पर 250 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के लिए देवभूमि हिमाचल के पावन मंदिरों का संरक्षण, सौंदर्यीकरण और आधुनिकीकरण सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिससे धार्मिक पर्यटन को नई ऊर्जा और दिशा मिलेगी।

उन्होंने बताया कि मंदिर में लागू सुगम दर्शन प्रणाली ने भीड़ प्रबंधन के साथ-साथ वृद्धजनों और दिव्यांगजनों को बड़ी सुविधा प्रदान की है। ऑनलाइन लंगर बुकिंग और ऑनलाइन दर्शन जैसी डिजिटल सेवाएं भी शुरू की गई हैं।

इसके अतिरिक्त प्रसाद योजना के अंतर्गत मंदिर के लिए 56.26 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। फरवरी 2025 में मंदिर से जुड़े पुजारियों को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि पूजा-पद्धति की पवित्रता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।

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