शिमला, 24 जून। हिमाचल प्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी है। पिछले साल की तुलना में इस बार मानसून ने पांच दिन पहले राज्य में प्रवेश किया है। विगत वर्ष मानसून 29 जून को पहुंचा था। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने इसकी पुष्टि की है।
केंद्र के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि दक्षिणी-पश्चिमी मानसून शनिवार को हिमाचल में दाखिल हो गया है और अगले दो दिन राज्य के अधिकतर हिस्सों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की आशंका है। सिरमौर, शिमला, सोलन, बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर, मंडी और कांगड़ा जिलों में भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया गया है।
उन्होंने बताया कि मानसून की हिमाचल में दाखिल होने की सामान्य तारीख 24 जून है। राज्य में जल्द से जल्द मानूसन वर्ष 2000 में नौ जून को प्रवेश किया था। जबकि पांच जुलाई 2010 को अधिकतम देरी से पहुंचा था।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष पहली जून से 24 जून तक हिमाचल में सामान्य से 10 फीसदी अधिक वर्षा हुई है। बिलासपुर, हमीरपुर, सोलन, मंडी, शिमला, सिरमौर और ऊना में भारी वर्षा रिकार्ड हुई है, जबकि लाहौल-स्पीति, किन्नौर, कुल्लू और चम्बा जिलों में सामान्य से कम बरसात हुई। हमीरपुर में सामान्य से 107 फीसदी अधिक वर्षा रही, वहीं लाहौल-स्पीति में वर्षा में सामान्य से 64 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
मानसून के आगमन पर राज्य में खूब वर्षा हुई है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 24 घण्टों में
मंडी जिला के कटौला में 163 मिमी, चम्बा के सिंहुता में 160 मिमी, सोलन के कसौली में 145, कांगड़ा में 143,
शिमला शहर में 99, गोहर में 81, पण्डोह में 74, सुंदरनगर में 70 और पच्छाद में 65 मिमी वर्षा हुई है।
शिमला में जगह-जगह भूस्खलन, चम्बा के भरमौर में गिरा हिमखंड
इस बीच मानसून की व्यापक वर्षा ने कहर बरपा दिया है। राज्य के विभिन्न भागों में मूसलाधार वर्षा ने तबाही मचा दी है। राजधानी शिमला में जगह-जगह भूस्खलन की घटनाएं पेश आईं। पेड़ धराशायी हुए और कई जगह मलबे की चपेट में गाड़ियां आ गई है। सोलन के चायल कोटी में हुए भूस्खलन से कालका शिमला रेल मार्ग अवरुद्ध होने से रेलों की आवाजाही भी ठप हो गई है। चम्बा जिला के भरमौर में कुंगली जोत के समीप हिमस्लखन होने के कारण 290 भेड़-बकरियों की मौत हो गई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक क्षेत्र के नौ भेड़ पालकों की भेड़- बकरियों की मौत हुई है। भेड़ पालक इस हादसे वाले रास्ते से गुजर रहे थे कि हिमस्खलन होने से भेड़-बकरियां इसकी चपेट में आ गईं।
राजधानी शिमला में मानसून की पहली ही बारिश ने स्मार्ट सिटी के विकास कार्यो की भी पोल खोल कर रख दी है। शहर के कृष्णा नगर में रात भर हुई बारिश के बाद पानी व तेज़ बहाव ने नाले को रुख बदला और मलबे के साथ चार गाड़ियों को अपनी चपेट में ले लिया। गाड़ियां तो क्षतिग्रस्त हुई ही साथ ही स्लाटर हाउस को जाने वाली सड़क में भी सारा मलबा आ गया और सड़क नाले में तब्दील हो गई।
इसी तरह समरहिल में पेड़ गिरने से सड़क बंद हो गई है। ढली बाईपास रोड भी मलबा आने से नेशनल हाइवे-पांच कुछ समय के लिए बंद रहा।
कृष्णानगर में मलबे की चपेट में आए गाड़ियों के मालिकों ने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर जो नाले बनाए गए उनमें घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई है। जो प्री मॉनसून की बारिश में बह गया और उनकी गाड़ियों को भारी नुकसान पहुंचा है।
इसके अलावा उपनगर संजौली में समिट्री के पास निर्माणाधीन टनल का मलवा लोअर समिट्री में खड़ी तीन गाड़ियों पर जा गिरा। मलबे में आधी गाडिय़ां दबी है और सड़क भी बाधित है। स्थानीय निवासी रमेश ठाकुर व देवेंद्र ठाकुर ने आरोप लगाया कि टनल का निर्माण कार्य चला हुआ है जिससे पानी का बहाव सड़क व घरों की तरफ़ मोड़ दिया गया है, जिससे आने वाली बरसात में और भी भारी नुकसान होने की आशंका है।
इधर, खराब मौसम के बीच जिला सिरमौर के राजगढ़ के बडू साहिब बठिंडा जा रही पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट की बस लैंड स्लाइड कि चपेट में आने से लटक गई। गनीमत रही बस खाई में जाने से बाल बाल बच गई। इसी तरह शिमला जिला के चौपाल उपमंडल में एचआरटीसी की बस दुर्घटनाग्रस्त हुई। हादसे में बस में सवार चालक व परिचालक घायल हुए हैं।