शिमला, 24 सितम्बर। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव 24 से 30 अक्टूबर तक आयोजित होगा। इस उत्सव में 19 देशों की सांस्कृतिक झलक नजर आएगी।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस उत्सव के पूर्वावलोकन (कर्टन रेजर) कार्यक्रम का शुभारंभ कर इसका ब्रॉशर जारी किया। रविवार को शिमला में राज्य स्तरीय कुल्लू दशहरा समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्सव इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव वास्तव में एक वैश्विक कार्यक्रम बनने के लिए तैयार है। विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों के साथ-साथ रूस, इजराइल, रोमानिया, कजाकिस्तान, क्रोएशिया, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड, पनामा, ईरान, मालदीव, मलेशिया, कीनिया, दक्षिण सूडान, जाम्बिया, घाना और इथियोपिया सहित 19 देशों के प्रतिभागी उत्सव में एक विविध और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक झलक दिखायेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्सव में 25 अक्टूबर को सांस्कृतिक परेड और 30 अक्टूबर को कुल्लू कार्निवल का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही 13 विभाग क्षेत्र की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए पैगोड़ा टेंट में प्रदर्शनियां लगाएंगे। मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। इसके अलावा, उन्होंने सांस्कृतिक एवं लोक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए उत्सव के दौरान पारंपरिक खेलों और स्थानीय लोक कलाकारों को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उत्सव के लिए क्षेत्र में निर्बाध परिवहन सुविधा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत मंडी-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत कार्य युद्ध स्तर पर पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान प्रदेश विशेषकर कुल्लू जिले में पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आपदा के दौरान जिला प्रशासन, विभिन्न विभागों, संगठनों एवं लोगों द्वारा राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए दिया गया योगदान प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि हिमाचल एक बार फिर पर्यटकों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और आगामी कुल्लू दशहरा उत्सव इस संबंध में एक मील पत्थर साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेले और त्यौहार राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसके प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि कुल्लू दशहरा धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों का वैश्विक प्रतीक है।