स्पीकर ने हिमाचल भाजपा के 15 विधायकों को किया निलंबित

शिमला, 28 फरवरी। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार पर छाए संकट के बीच बुधवार को प्रदेश विधानसभा में अभूतपूर्व हंगामा हुआ और भाजपा के 15 सदस्यों को सदन से निलंबित कर दिया गया। ये निलंबन भाजपा सदस्यों द्वारा सदन में बीते रोज हंगामा करने और विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर में जबरन घुसने तथा उनके साथ दुर्व्यवहार और गाली-गलौच करने के मुद्दे पर किया गया।

दरअसल बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने नियम 319 के तहत भाजपा के 15 सदस्यों को सदन से बजट सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव किया। जिन सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव किया उनमें नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार, रणधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार, विनोद कुमार, हंस राज, डॉ. जनक राज, बलवीर वर्मा, त्रिलोक जम्वाल, सुरेंद्र शौरी, दीप राज, पूर्ण चंद, इंद्र सिंह गांधी, दलीप ठाकुर और रणवीर सिंह निक्का शामिल हैं।

हर्षवर्धन चौहान ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि भाजपा के विधायकों ने बीते रोज सदन में बेवजह हंगामा किया और सदन की बैठक स्थगित होने के बाद ये सभी विधायक जबरन विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के पास पहुंचे और जबरन अंदर घुसे। इन सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ दुर्व्यवहार किया तथा गाली-गलौच की। यही नहीं, रात 8.30 बजे ये भाजपा विधायक फिर से अध्यक्ष के चैंबर में आए और उनके काम में बाधा पहुंचाई। प्रस्ताव में कहा गया कि इन हालात में सदन को व्यवस्थित रूप से चलाना संभव नहीं है। इसलिए इन सदस्यों को विधानसभा के नियम 319 के तहत सदन से निलंबित किया जाए।

संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव के बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने भाजपा के इन सभी 15 सदस्यों को बजट सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव सदन में रखा, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। उन्होंने भाजपा के निलंबित सदस्यों से सदन से बाहर चले जाने का आग्रह किया और ऐसा न करने पर उन्हें मार्शलों के माध्यम से जबरन बाहर ले जाने के आदेश दिए। इसका विपक्षी सदस्यों ने जोरदार विरोध किया और सदन में भारी हंगामे की स्थिति पैदा हो गई तथा दोनों ओर से विधायक अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर नारे लगाने लगे। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष के आदेशों का विरोध करते हुए पूरा विपक्ष सदन के बीचोंबीच पहुंच गया नारेबाजी तथा हंगामा करता रहा।
विधानसभा अध्यक्ष के आदेशों और मार्शलों के आने के बावजूद विपक्षी सदस्य अपने स्थान पर बैठे रहे और हंगामा बढ़ता गया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। इसी दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा वैल के बीच मौजूद विधानसभा रिपोर्टरों, विधानसभा सचिव और विधानसभा अध्यक्ष के आसन पर मौजूद कागजों को भी इधर-उधर फेंक दिया।

सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बावजूद पूरा विपक्षी दल सदन में ही डटा रहा और मार्शलों के साथ एक बजे तक उलझता रहा। विधानसभा की कार्यवाही फिर से आरंभ न होने के चलते दोपहर के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में पूरा विपक्ष सदन से उठकर बाहर चला गया।

भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने प्वाइंट ऑफ आर्डर के माध्यम से भाजपा विधायकों के निलंबन का मामला उठाया और इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
सत्ती ने कहा कि भाजपा सदस्यों का बजट सत्र से निलंबन गलत है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद यह साफ हो गया है कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में है। इसलिए बीते रोज भाजपा ने कटौती प्रस्तावों पर मत विभाजन की मांग की थी। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय सदस्यों ने भाजपा उम्मीदवार का समर्थन किया है। ऐसे में सरकार के पास अब बहुमत नहीं रह गया है।

सतपाल सत्ती ने कहा कि सदन में बहुमत की स्थिति साफ होने के बावजूद सरकार ने बजट पास करवाने के लिए भाजपा सदस्यों का निलंबन किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की हत्या है और भाजपा के शेष सदस्यों ने इस निलंबन के विरोध में सदन में नहीं बैठने और वाकआउट का फैसला किया है।

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